Online Gaming Bill Update अनुपम मित्तल ने कहा “क्या गुटखा बैन होने के बाद लोग खाना बंद कर दिए थे?” भारत में ऑनलाइन गेमिंग पिछले कुछ सालों में बहुत तेज़ी से बढ़ी है। लाखों लोग हर दिन मोबाइल और कंप्यूटर पर तरह-तरह के गेम खेलते हैं। लेकिन हाल ही में सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग पर सख्ती बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए हैं। इसी कड़ी में नया Online Gaming Bill लाने की चर्चा चल रही है। इस बिल का उद्देश्य ऑनलाइन गेमिंग पर नियंत्रण करना और गलत गतिविधियों को रोकना है।
लेकिन इस पर कई उद्योग जगत के लोग अपनी राय दे रहे हैं। इनमें से एक हैं अनुपम मित्तल, जो “Shaadi.com” के संस्थापक और मशहूर टीवी शो “Shark Tank India” के जज भी हैं। उन्होंने इस बिल को लेकर एक बड़ा बयान दिया है।
Online Gaming Bill Update अनुपम मित्तल का बयान
अनुपम मित्तल ने कहा –
“क्या लोग गुटखा खाना बंद कर दिए थे जब उस पर बैन लगा दिया गया था? नहीं। वही हाल ऑनलाइन गेमिंग का होगा।”
उनका मतलब है कि सिर्फ बैन लगाने से कोई समस्या हल नहीं होती। लोग दूसरे रास्ते ढूंढ लेते हैं और वही गतिविधि किसी और तरीके से जारी रहती है।
सरकार क्यों ला रही है Online Gaming Bill?
- नशे जैसी लत से बचाने के लिए – बहुत सारे युवा दिन-रात गेमिंग में समय बर्बाद कर रहे हैं।
- ग़लत पैसों का इस्तेमाल – कई बार गेमिंग के नाम पर जुआ और सट्टेबाज़ी होती है।
- बच्चों और परिवार पर असर – बच्चे पढ़ाई छोड़कर सिर्फ गेम खेलते हैं, जिससे परिवार को परेशानी होती है।
- साइबर सुरक्षा – कई गेमिंग ऐप्स डेटा चोरी और ठगी के साधन बन रहे हैं।
इन्हीं कारणों से सरकार चाहती है कि ऑनलाइन गेमिंग पर कानूनी नियंत्रण हो और इसका दुरुपयोग न हो।
Online Gaming Bill Update अनुपम मित्तल की चिंता
अनुपम मित्तल मानते हैं कि गेमिंग को पूरी तरह बैन करने से समस्या हल नहीं होगी। उनका कहना है कि –
- जब गुटखा, शराब या अन्य चीजों पर बैन लगाया गया, तब भी लोगों ने उसे किसी न किसी तरीके से हासिल कर लिया।
- अगर ऑनलाइन गेमिंग बैन होगी, तो लोग “अनऑफिशियल” या “ग़ैरकानूनी” ऐप्स की ओर चले जाएंगे।
- इससे सरकार को टैक्स का नुकसान होगा और युवाओं की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है।
Online Gaming Bill Update समाधान क्या हो सकता है?
सिर्फ बैन करना कोई हल नहीं है। कुछ बेहतर कदम उठाए जा सकते हैं –
- नियम और कानून बनाए जाएं – गेमिंग कंपनियों को लाइसेंस देकर सही तरीके से चलाने की अनुमति दी जाए।
- उम्र की सीमा तय हो – 18 साल से कम उम्र के बच्चों को पैसों वाले गेम खेलने से रोका जाए।
- समय की पाबंदी – एक दिन में एक यूज़र कितने घंटे गेम खेल सकता है, इस पर लिमिट लगाई जाए।
- टैक्स और रेवेन्यू – गेमिंग इंडस्ट्री से सरकार को टैक्स मिले, ताकि देश को आर्थिक फायदा हो।
- सजगता अभियान – लोगों को बताया जाए कि गेमिंग सिर्फ मनोरंजन है, न कि लत।
ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री का महत्व
- भारत में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री की वैल्यू ₹20,000 करोड़ से भी ज्यादा है।
- इसमें लाखों लोगों को रोज़गार मिलता है – गेम डेवलपर, डिज़ाइनर, स्ट्रीमर और ई-स्पोर्ट्स खिलाड़ी।
- अगर सही तरीके से रेग्युलेट किया जाए तो भारत दुनिया में गेमिंग का बड़ा हब बन सकता है।
लोगों की राय
- समर्थन करने वाले कहते हैं कि बैन ज़रूरी है क्योंकि गेमिंग की लत खतरनाक है।
- विरोध करने वाले कहते हैं कि यह युवाओं के रोजगार और इंडस्ट्री के लिए बुरा कदम होगा।
अनुपम मित्तल जैसे उद्यमी चाहते हैं कि सरकार बैन के बजाय संतुलित नीति बनाए, ताकि गेमिंग को नियंत्रित भी किया जा सके और इसका सही फायदा भी देश को मिल सके।
निष्कर्ष
Online Gaming Bill Update अनुपम मित्तल का सवाल वाकई सोचने पर मजबूर करता है – “क्या गुटखा बैन होने के बाद लोग उसे खाना बंद कर दिए थे?” इसका सीधा मतलब है कि सिर्फ बैन लगाना किसी समस्या का स्थायी हल नहीं हैऑनलाइन गेमिंग पर अगर सरकार सख्त कानून लाती है तो युवाओं को गलत रास्ते पर जाने से रोका जा सकता है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि बैन के साथ-साथ स्मार्ट नियम भी बनाए जाएं। तभी गेमिंग इंडस्ट्री सुरक्षित, पारदर्शी और देश के लिए लाभकारी बन सकती है।